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कहते हैं प्रेम आपको औसत से अधिक अच्छा इंसान बनाता है लेकिन इश्क अगर सिर चढ़कर बोलने लग जाए तो यह जुनून या दीवानगी में तब्दील हो जाता है जो किसी के लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है। 'लव किल्स: शबाना और सलीम- अमरोहा हत्याकांड' नामक डॉक्यूमेंट्री सीरीज में यही दिखाया गया है कि कैसे मोहब्बत में दीवानगी और एक-दूसरे को पाने की चाहत अक्सर इंसान को हैवान बना देती है। उत्तर प्रदेश के एक ही परिवार के सात लोगों की हत्या पर आधारित डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ 'लव किल्स : शबाना और सलीम - अमरोहा हत्याकांड' ऐसी ही एक जुनूनी और खूनी दास्तां पेश करती है। इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज की पूरी कहानी को पुलिस अधिकारियों, वकील, शबाना और सलीम के संबंधियों और पड़ोसियों से बातचीत के आधार पर पेश किया है। कहानी सिहरा देने वाली है, लिहाजा इसे देखते समय अपने विवेक का इस्तेमाल अवश्य करें।
साल 2008 में उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव में एक ऐसे सामूहिक हत्याकांड को अंजाम दिया था जिसने सिर्फ अमरोहा और उत्तर प्रदेश को ही नहीं, बल्कि देश भर को झकझोर कर रख दिया। आठ लोगों के मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार की हत्या की इस दास्तां को सशक्त अंदाज में और हत्याकांड के हर पहलू को तथ्यों और गवाहों के ज़रिए असरदार तरीके से पेश किया गया है। इस हत्याकांड में आठ महीने के एक बच्चे सहित सात लोगों का गला रेत कर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी और इस ख़ूनी खेल के दौरान सिर्फ एक लड़की जिंदा बच जाती है जिसका नाम है शबाना। इन कत्लों के दौरान शबाना अकेले कैसे बच जाती? हत्यारे ने उसे क्यों जिंदा छोड़ दिया? या फिर शबाना खुद इस हत्याकांड में शामिल है? यही राज इस पूरी डॉक्यूमेंट्री सीरीज के केंद्र में है।
हत्याकांड के फौरन बाद जब शबाना आवाज लगाकर गांव वालों को बुलाती है तो पूरा गांव इस हैवानियत को देख कर दंग रह जाता है। मौके पर पुलिस पहुंचती है और वारदात का मुआयना करने के बाद अपनी कार्यवाही शुरू करती है। जैसे-जैसे तहकीकात आगे बढ़ती जाती है, एक के बाद एक इस हत्याकांड की परतें खुलने लगती हैं और सच सामने आने लगता है। इस डॉक्यूमेंट्री की कहानी जितनी भयावह है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि हत्या से पहले सभी मृतकों को कोई नशीला पदार्थ दिया गया था जिसके कारण सभी बेहोश हो गये थे। ऐसे में पुलिस का सीधा शक शबाना पर जाता है क्योंकि उसने सोने से पहले रात में सभी के लिए चाय बनाई थी।
प्रेम की यह खूनी दास्तां इश्क के ऐसे पहलू की ओर इशारा करती है जिसके चलते इंसान हैवानियत का रास्ता अख्तियार कर लेता है और अपने करीबियों को भी मौत के घाट उतारने में भी नहीं हिचकिचाता है। 'लव किल्स: शबाना और सलीम - अमरोहा हत्याकांड' में प्यार में पागल दो प्रेमियों की यह हैरतअंगेज दास्तां अपने अनूठेपन के चलते चौंकाती भी और सिहरन भी पैदा करती है। शबाना और सलीम फिलहाल दोनों उत्तर प्रदेश की दो अलग-अलग जेलों में बंद हैं। ग़ौरतलब है कि इस डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ में हत्याकांड की जांच कर रही पुलिस द्वारा किसी ना किसी कड़ी को छोड़ देने को भी बखूबी रेखांकित किया गया है। शबाना के वकील का यह भी आरोप है कि केस को जल्दी बंद कराने के लिए जांच में कुछ कड़ियों को मनगढ़त तरीके से जोड़ दिया गया है।
डॉक्यूमेंट्री सीरीज में 25-25 मिनट के तीन एपिसोड्स हैं जो अंत तक आपकी दिलचस्पी को बनाए रखते हैं। जैसे-जैसे इस हैरतअंगेज़ करनेवाली कहानी की परतें खुलने लगती हैं, इसे देखने का रहस्य भी उतना ही गहराता चला जाता है। इस सीरीज में पूर्व डीआईजी बद्री प्रसाद, जांच अधिकारी आरपी गुप्ता, एसओजी मनोज राणा और आरोपी शबाना के वकील सैफुल इस्लाम सिद्दीकी सहित गांव के कई लोगों ने इस हत्याकांड संबंधी जानकारियों को साझा किया है। सीरीज में ज्यादातर ओरिजनल फुटेज का इस्तेमाल किया गया और इसकी अधिकांश शूटिंग भी असल लोकेशन पर हुई है। फिल्म की रिसर्च व लेखन टीम ने एक असरदार डॉक्यूमेंट्री सीरीज बनाने में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया है।
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